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Wednesday, October 1, 2008

सौम्या का हत्यारा कौन..?

मित्रों,
 
सौम्या विश्वनाथन नहीं रहीं. ईमका के ग्रुप मेल पर कभी-कभार जूनियरों का उत्साह बढ़ाने वाले उनके मेल ही यादों के नाम पर मेरे पास हैं.
 
पता नहीं, किन हालातों में उनकी हत्या की गई लेकिन पुलिस की लापरवाही का इससे बड़ा प्रमाण और क्या हो सकता है कि पोस्टमार्टम से पहले तक उसे पता ही नहीं चला कि सौम्या जी को गोली मारी गई है.
 
जिस समाचार संगठन में वो काम करती थीं, उसने दूसरे समाचार संगठनों के साथियों को बुलाकर हत्या का सच सामने लाने की कोशिश करने की बजाय उस खबर को तब तक दबाए रखने की कोशिश की जब तक कि दूसरे चैनल ने उसे "ब्रेक" नहीं कर दिया.
 
सौम्या जी नहीं लौट सकतीं. लेकिन सच सामने लाने के पेशे से जुड़े लोगों के सामने वो एक सवाल तो छोड़ ही गई हैं कि अगर वो किसी कॉल सेंटर की कर्मचारी होतीं या किसी दूसरे पेशे से जुड़ी होतीं तो क्या खबरों की दुनिया उनकी हत्या को इतने हल्के से ही लेता. ये सिर्फ दुखद और सदमा नहीं है, अफसोसजनक भी है.
 
ईश्वर आपकी आत्मा को शांति दे और पुलिस को इतनी बुद्धि दे कि वो आपके हत्यारों को पकड़ सके.
 
 
रीतेश
हिंदी पत्रकारिता, 2005-06

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